Saturday 27 August 2011

सनातनधर्म पर प्रहार..


विगत कुछ वर्षों में हिन्दू धर्म मान्यताओं, प्रतीकों यहाँ तक की भगवन श्री राम कृष्ण की लीलाओं पर कुछ लोग कुतर्क कर स्वं को विद्वान स्थापित करने का प्रयास करते है सरिता, मुक्ता  जैसी पत्रिकाएं एवं छदम सेकुलर लेखक एवं इसाई मिशनरी हमारी हिन्दू धर्म पर आधारहीन आक्षेप लगा रही है तथा हिन्दुओं के मन में हिन्दू धर्म के प्रति दुर्भावना पैदा कर रही है
भारतीय फिल्म इतिहास १९१२-१३ से आज तक फिल्म की कहानी के अनुसार हिन्दू धर्म के धर्म गुरुओं को खलनायक के रूप में प्रस्तुत किया है जबकि अन्य  धर्म गुरुओं  को समाज सेवक और महान दर्शाया जाता है भगवन श्री कृष्ण द्वारा चीर हरण एवं बहु विवाह जैसी लीलाओं पर कुछ लोग अनर्गल टिपण्णी करते है जबकि चीर हरण के समय श्री कृष्ण की आयु ६ से ८ वर्ष के बीच थी इस आयु में भोगवादी द्रष्टिकोण से देखना अनुचित है तथा १६०० कन्याओं के विवाह के सन्दर्भ में निंदकों को सज्ञान लेना चाहिय यह १६०० वह कन्यायें थी जो जरासिंध की कैद मैं थी जब श्री कृष्ण ने भीम के हाथों जरासिंध का वध कराने के बाद यह प्रश्न था की कैद में रहने के बाद १६०० कन्यों को अपनाने को कोई तैयार नहीं था और वह बहिष्कृत हो चुकी थी किन्तु श्री कृष्ण ने उनसे विवाह कर अनुकम्पा की  कुछ लोग तुलसी दास द्वारा रचित रामचरित मानस जैसे महाकाव्य को स्त्री एवं जाति विशेष विरोधी बताने मैं नहीं चूकते जबकि वताविकता यह है की तुलसी दास ने रामचरित महाकाव्य की रचना की है अर्थार्थ किसी महापुरुष के समग्र जीवन का वर्णन महाकाव्य है जिस मैं उस महा पुरुष से जुड़े अनेक पात्र और भिन्न -२ विषय पर उनके भिन्न भिन्न विचार हो सकते है और भिन्न विचार वाले लोग के विचार व्यक्त करना कवि का दायित्व है ! काव्य की परिपूर्णता है ! कई जगह रावन ने स्त्रियों की  निन्दा की है इसलिए तुलसीदास पर किसी भी तरह का आक्षेप लगाना काव्य के मर्म एवं भाषा शैली से परिचित न होना है ! सीता , अनुसुइयन जैसी स्त्रियेओं की तुलसीदास ने प्रंशसा ,सुपनखाँ जैसी स्त्रियों की निंदा की है
संतो को राजनीती मैं नहीं आना चाहिय यह द्रष्टिकोण अंधिकांश लोगो का है इसी प्रश्न से सम्भंधित प्रसंग रामचरित मानस में आता है जबकि बलि के वध के बाद सुग्रीव में विरक्ति पैदा हुई तब सुग्रीव ने श्री राम से संन्यास लेने की आज्ञा और कृपा मांगी किन्तु श्री राम ने कहा की आदर्शवादी और प्रजा पालक वही हो सकता है जिसकी भावना संन्यासमयं  हो , विरक्त हो , धरम विहीन राजा  अजाराकता का पर्याय है
देश मैं कुछ संत और आश्रम ही साधन संपन्न है जबकि वास्तविकता यह है की अधिकांश साधू सन्यासी नितांत आभाव में जी रहें है उनका वोट मतदान अनुसूची से गायब है या फिर ये लोग मतदान का प्रयोग नहीं करने के कारन इनकी आवाज उठाने वाला कोई नहीं है कुछ अपराधियों ने संतो के चिन्ह और चोला धारण करने एवं इसाई मिशनरियों द्वारा संतो का कुप्रचार करने के कारन आज संतो को कोई भीख तक नहीं देता , कुछ प्रसिद्द मंदिरों के चढ़ावे सरकारें लेती है और हज यात्रियों को सब्सिडी देती है
जबकि हमारे धार्मिक स्थलों का धन आभाव मैं जीर्णोउद्धार नहीं हो रहा सैंकड़ों संत आश्रय विहीन गर्मी सर्दी में खुले में मरने को विवश है
प्रश्न यह है की टिपण्णीकार , निंदकों का विषय हमारी कालजई संस्कृति क्यों है?  सनातन धरम क्यों है? जो हिन्दू धरम की निंदा कर रहे है क्या उन्होंने हिन्दू धरम का गहराई से अध्यन किया है? किसी विषय पर वही व्यक्ति टिप्पणी कर सकता है जो उस विषय का विशेषज्ञ हो किन्तु यहाँ ऐसा नहीं है इसी मिशनरी द्वारा हिन्दू धर्म देवी देवता महापुरुष पर ऊँगली उठाई जाती है क्यों की वह हिन्दुओं की भावना बदल कर स्वधर्म  के प्रति नफरत पैदा कर इसाई  धर्म का प्रचार एवं धर्मान्तरण करना चाहते है पूर्वोत्तर राज्ये को तो इन मिशनरियों ने अपनी गिरफ्त मैं ले लिया है जहाँ जहाँ हिन्दुओं की संख्या घटी है वहां प्रथकतावाद  की मांग बलवती हुई है
कुछ नेता हिन्दू धर्म पर आरोप लगा संप्रदाय विशेष को वोटो के लिए रिझाना चाहते है
देश मैं हिन्दू धर्म को छोड़ कर सभी धर्मों को राजनैतिक सरंक्षण प्राप्त है क्योंकि हिन्दू वोट बिखरा और अन्य धर्मों का वोट एक मुश्त है हिन्दू वे नृप की प्रजा के सामान है संसार की सबसे पुरातन सनातन धर्म  के धर्मग्रन्थ ही प्रश्न उत्तर में है जिस में विद्वानों ने प्रशन किये है और विद्वानों ने ही उस के उत्तर दिए प्रशन उत्तर देने वाले किसी विद्वेष पुर्वग्राहित से ग्रसित ने थे
गीता अर्जुन एवं श्री कृष्ण रामायण शंकर पार्वती काकभुशंड एवं गरुण भगवत पुराण शुकदेव एवं राजा परीक्षित के प्रश्न उत्तर के रूप में हमारे पास है उसी तरह अन्य धर्म ग्रन्थ भी किसी ने किसी के प्रश्न उत्तर के रूप में है जिन पर संशय करना एक तरह से पूर्वाग्रह होगा जबकि अन्य धर्म ग्रंथों पर प्रश्न  करना ही इशनिंदा है, अपराध है!........................

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