Saturday 27 August 2011

आदर्श राज्यके सर्व गुण धर्माधिष्ठित हिंदुराष्ट्रमें होंगे !


रामराज्य
१. रामराज्यमें दुःखी विधवा स्त्रियां अथवा अनाश्रमी न होना
२. रामराज्यमें लोकतंत्रके अनुसार प्रत्येकको ‘मत’ देनेका, अर्थात राजा  चुननेका अधिकार नहीं था; किंतु प्रत्येकको ‘मत’ अमान्य करनेका अधिकार था ।  इसका अर्थ है कि प्रत्येकको राजासे भी अधिक अधिकार था । ‘धोबीकी पत्नी क्या  करे, क्या न करे’, इसमें श्रीरामका हस्तक्षेप नहीं था; किंतु ‘श्रीरामकी  पत्नी कैसा आचरण करे’, यह कहनेका अधिकार साधारणसे धोबीको था । इसीलिए उसके  कहनेपर श्रीरामने अपने प्राणोंसे भी प्रिय पत्नी सीताका त्याग किया ।  रामराज्यमें समताका लाभ प्रजा ले रही थी, तो विषमताका दुःख श्रीराम भोग रहे  थे ।’ - डॉ. वसंत बाळाजी आठवले (ई.स. १९९०)

रामराज्यकी आदर्श प्रजा
‘राम वनवासके लिए निकले । उस समय रामराज्यके शोकाकुल नागरिक रामका रथ नहीं  रोक सके । उस रात्रि अयोध्याके किसी घरमें न तो दिया जला, न अग्नि प्रदीप्त  हुई और न भोजन ही बना । जलविहीन सागरसमान अयोध्या निर्जन / उदास हो गई ।’  -गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी (घनगर्जित, जून २००६) राज्यमें वेश्याएं नहीं  थीं; कारण, वेश्याके पास जानेवाले लोग ही नहीं थे । राज्यमें चोर न होनेके  कारण पुलिस भी नहीं थी । अपराध न होनेके कारण न्यायालय नहीं थे । सर्वजन  धर्मनियमोंका पालन करते थे ।

ऐसा होगा सर्वगुणसंपन्न धर्माधिष्ठित हिंदुराष्ट्र !

१. शासनकी दृष्टिसे हिंदुराष्ट्र !
 १.१ शासक : शासक, धर्मपालक, सात्त्विक, नीतिमान, जनकल्याणकारी,  निःस्वार्थी एवं जनतासे पितासमान प्रेम करनेवाले होंगे ! वे जनतासे  धर्माचरण करवानेवाले, संतोंका मार्गदर्शन लेनेवाले, पारदर्शी कार्यव्यापार  करनेवाले तथा न्यायप्रियता, नियोजनबद्धता, अनुशासनप्रियता, निर्णयक्षमता,  सतर्कता  आदि प्रशासकीय दृष्टिसे महत्त्वपूर्ण गुणोंसे युक्त होंगे ।

१.२ राज्यका संविधान : ‘लोकतंत्रमें संविधानकी आवश्यकता होती है, तो  धर्माधिष्ठित हिंदुराष्ट्रमें धर्म ही नीति-नियमोंका मूल होनेसे राज्यको  संविधानकी आवश्यकता नहीं होगी !’ – अधिवक्ता रामदास केसरकर, सनातन संस्थाके  मानद विधि-परामर्शदाता

१.३ चुनाव : मतकोष, आरक्षित स्थान, हिंसाचार, ५० प्रतिशतसे अधिक  लोगोंद्वारा नकारे जानेपर भी, सर्वाधिक मत मिलनेके कारण प्रत्याशियोंका  जीतना आदि त्रुटिपूर्ण चुनाव हिंदुराष्ट्रमें नहीं होंगे । पात्र जनता  पात्र और योग्य नागरिकको राज्यकार्यव्यापार करनेके लिए कहेगी ।

१.४ राज्यका कार्यव्यापार : राज्यका कारभारसंबंधी निर्णय बहुमतके बलपर नहीं, अपितु योग्य और आवश्यक तत्त्वोंका विचार कर लिया जाएगा । उसमें पारदर्शकता होगी ।

२. न्यायकी दृष्टिसे हिंदुराष्ट्र !
२.१ न्यायदान : न्यायाधीश सूक्ष्म आयामके जानकार होंगे, इसलिए  अन्यायग्रस्तोंको योग्य और तुरंत न्याय मिलेगा ! इस कारण, न्यायप्रणालीमें  अधिवक्ताओंकी आवश्यकता नहीं होगी । हिंदुराष्ट्रमें लोकतंत्रकी भांति  ‘कानूनका राज्य’ (कोर्ट ऑफ लॉ) नहीं; अपितु ‘न्यायका राज्य’ (कोर्ट ऑफ जस्टिस) होगा ।

२.२ कानून : सर्व कानून हिंदुहितमें होंगे । धर्मांतरण, विधिद्वारा  प्रतिबंधित होगा । इस कारण, किसीको फंसाकर धर्मांतरित नहीं किया जा सकेगा ।  गोवंशहत्याबंदी कानून होगा । अल्पसंख्यकोंका
तुष्टीकरण नहीं होगा । सर्व नागरिकोंके लिए ‘समान नागरी कानून’ होगा !

३. प्रशासकीय दृष्टिसे हिंदुराष्ट्र !
३.१ आरक्षक (पुलिस) एवं प्रशासन : हिंदुराष्ट्रमें शासन, प्रशासन, सुरक्षा बल और न्यायालयोंमें केवल राष्ट्र  एवं धर्मप्रेमी होंगे ।

३.२ आरक्षणमुक्त पदोन्नति : हिंदुराष्ट्रमें आरक्षण नहीं होगा ।  वर्तमान लोकतंत्रमें जाति अथवा धर्मके आधारपर लोगोंको दी गई सर्व नौकरियां,  उनमें योग्यता होनेपर ही हिंदुराष्ट्रमें पूर्ववत जारी रहेंगी अन्यथा उन  नियुक्तियोंको निरस्त कर दिया जाएगा ! अधिकारियोंको उनकी योग्यताके अनुसार,  अर्थात लगन, भाव, प्रीति, नेतृत्वगुण एवं अहंभाव अल्प इत्यादि गुणोंके  आधारपर ही बढोत्तरी मिलेगी ।

४. संरक्षणकी दृष्टिसे हिंदुराष्ट्र !
४.१ सीमा : हिंदुराष्ट्रमें देशकी सर्व सीमा सर्वप्रथम सुरक्षित की जाएंगी । घुसपैठपर अंकुश लगानेके लिए कठोर कानून बनाए जाएंगे ।

४.२ संरक्षण : देशकी अंतर्बाह्य सुरक्षाको प्रथम वरीयता होगी ।  आतंकवादी (बाह्य) और नक्सलवादी (अंतर्गत) शत्रुओंका निर्मूलन किया जाएगा ।  इस कारण प्रजा सुरक्षित जीवन यापन कर सकेगी !

५. आर्थिक दृष्टिसे हिंदुराष्ट्र !
वर्तमानमें अर्थशास्त्रकी पश्चिमी व्याख्या, ‘आवश्यकता अमर्यादित और  आपूर्ति मर्यादित, इनमें सामंजस्य स्थापित करनेवाला शास्त्र’ है । इस  व्याख्यामें सर्वजनोंकी आवश्यकताओंकी पूर्ति होती नहीं दिखाई देती ।  हिंदुराष्ट्रके अर्थशास्त्रानुसार सर्वजनोंको आवश्यकतानुसार सब मिलेगा,  अर्थात सर्वजन सुखी होंगे । संक्षेपमें, हिंदुराष्ट्रमें अर्थशास्त्र  कौटिल्यके अर्थशास्त्रपर आधारित ‘सर्वे संतु निरामयः’, यह वचन सार्थक  करनेवाला होगा । कालाधन और भ्रष्टाचार न होनेके कारण और जनता उद्यमशील  वृत्तिकी होनेके कारण देशकी अर्थव्यवस्था उत्तम होगी । उसमें देशवासियोंका  पैसा उन्हींके कल्याणके लिए व्यय किया जाएगा । भाववृद्धि और शेअर बाजार  जैसे जुएके अड्डे भी हिंदुराष्ट्रमें नहीं होंगे । राष्ट्रीय प्रगतिके लिए  आवश्यक उतना ही कर उगाहनेवाली कौटिल्यकी अर्थनीतिपर
आधारित करव्यवस्था हिंदुराष्ट्रमें होगी ।

५.१ उद्योगीकरण : ‘उद्योगीकरणके कारण नागरिकोंकी सादी जीवनशैली नष्ट  होकर भोग-विलास आवश्यक लगने लगता है । इस कारण भोगवाद बढता है ।  हिंदुराष्ट्र धर्माधिष्ठित होनेके कारण वह उद्योगीकरणको नियंत्रित रखेगा और  योग्य दिशा भी देगा । हिंदु धर्मने विशिष्ट आयुके पश्चात व्यक्तिको  निवृत्तिका मार्ग बताया है । इस निवृत्तिमार्गके कारण सांसारिक उपभोग सीमित  होकर उससे संबंधित वस्तुओंके उत्पादनपर अपनेआप ही अंकुश लगेगा ।

५.२ उत्पादन : हिंदुराष्ट्रमें स्वदेशी अस्मिताका पोषण किया जाएगा ।  नागरिक स्वदेशी वस्तु ही क्रय करेंगे । भौतिक सुखवाद नहीं; अपितु  धर्मानुकूल हिंदु जीवनपद्धति वेंâद्रबिंदु होगी । इससे सुखवादी उत्पादनोंको  प्रोत्साहन नहीं मिलेगा ।

५.३ कृषि : सात्त्विक, राष्ट्रीय आवश्यकताएं पूर्ण करनेवाले और राष्ट्रीय प्रगतिके लिए पोषक अन्न ही कृषक बोएंगे । भारतको अन्न-धन और मूलभूत आवश्यकताओंके संबंधमें स्वयंपूर्ण बनाना, यह कृषि
विभागका ध्येय होगा ।

५.४ उपजीविका : लोग बाहुबल और ज्ञानके द्वारा द्रव्यार्जन करेंगे ।  नागरिकोंकी कार्यक्षमता बढेगी, इस कारण श्रमशक्ति एवं ज्ञानशक्ति वृद्धिंगत  होगी । जनता कृपण नहीं; अपितु मितव्ययी होगी ।

६. शैक्षणिक दृष्टिसे हिंदुराष्ट्र !
६.१ शिक्षण : मैकॉलेप्रणीत शिक्षणपद्धति हटाकर, आदर्श गुरुकुल पद्धति  अस्तित्वमें लाई जाएगी । इस शिक्षणपद्धतिके कारण विद्यार्थी आत्मनिर्भर,  ज्ञानी, स्वाभिमानी, राष्ट्रप्रेमी तथा आत्मबल और क्षात्रतेजसे संपन्न  होंगे ।

६.२ धर्मशिक्षण : विद्यालयस्तरसे ही धर्मशिक्षण दिए जानेसे भावी पीढी  संस्कारित एवं नीतिमान होगी । हिंदु धर्मग्रंथोंकी सीख देनेवाले  ‘विद्यालयों’की स्थापना की जाएगी । गुरु-शिष्य-परंपरा पुनरुज्जीवित की  जाएगी ।

६.३ अध्यात्म विश्वविद्यालय : अध्यात्ममें प्रगति करनेकी इच्छा  रखनेवालोंके लिए ‘अध्यात्म विश्वविद्यालयों’की स्थापना की जाएगी । इस  विद्यालयसे उत्तीर्ण होकर बाहर जानेवाले विद्यार्थी संत ही होंगे ।

६.४ इतिहास : भारतके प्राचीन गौरवशाली इतिहासका पुनर्लेखन कर  हिंदुओंका सत्य और राष्ट्रभक्तियुक्त क्षात्रवृत्ति जागृत करनोवाला इतिहास  विद्यालयोंमें सिखाया जाएगा । हिंदुओंके तेजस्वी इतिहासका प्रमाण देनेवाली  ऐतिहासिक वस्तुओं और वास्तुको संजोया जाएगा ।

६.५ विज्ञान : ‘विज्ञानके लिए विज्ञान’, वैज्ञानिक शोधका यह स्वरूप न रहकर, वह मानवजातिके लिए पूरक होगा । विज्ञानकी सीमाएं भी बताई जाएंगी ।

६.६ कला : ‘मात्र कलाके लिए कला’ नहीं; अपितु ‘ईश्वरप्राप्तिके लिए कला’, इस दृष्टिसे कलाका विकास किया जाएगा ।

७. सांस्कृतिक दृष्टिसे हिंदुराष्ट्र !
७.१ मनोरंजन : संगीत, दूरदर्शन, क्रीडा, यात्रा, वर्तमानपत्र, ये  केवल मनोरंजनके साधन नहीं होंगे; अपितु इनके माध्यमसे समाज एवं राष्ट्रकी  प्रगतिके लिए पोषक, वैचारिक विकासकी ओर ध्यान दिया जाएगा ।

७.२ सार्वजनिक स्थानोंके नाम और पुतले : ‘मार्गोंको, विविध  प्रतिष्ठानोंको दिए गए राजनेताओंके नाम, उनके खडे किए गए पुतले तथा केवल  १-२ पीढियों तक ही ज्ञात नामोंके रास्ते, पुतले इत्यादि हिंदुराष्ट्रमें  नहीं होंगे । उनके स्थानपर देवता, संत, ऋषिमुनि, कालिदास समान अभिजात  लेखकोंके नाम मार्गोंको दिए जाएंगे ।

७.३ राष्ट्रीय दिवस : हिंदुराष्ट्रमें प्रत्येक दिवस आध्यात्मिक  लाभकी दृष्टिसे मनाया जाएगा, उदा. ‘शिक्षकदिवस’ गुरुपूर्णिमापर,  ‘आरोग्यदिवस’ धन्वंतरी जयंतीपर, ‘कलादिवस’ महाशिवरात्रिपर (नृत्य और
संगीत शिवसे उत्पन्न हुए ।), तो ‘न्यायदिवस’ यमद्वितीयापर ।

८. धार्मिक दृष्टिसे हिंदुराष्ट्र !
८.१ देवालय : देवालयोंके न्यासी और सेवाधारी भक्त होंगे तथा  देवनिधिका उपयोग धर्मकार्यके लिए ही होगा ! देवताओंके उत्सवमेलोंसे  श्रद्धालुओंको आध्यात्मिक लाभ होनेके लिए उत्सवमेलोंकी गुणवत्ता सुधारी  जाएगी ।

८.२ देवताओंकी मूर्ति : देवालयोंमें देवताओंकी मूर्तियां संबंधित  देवताके अधिकाधिक तत्त्व और सात्त्विकता प्रक्षेपित करनेवाली होंगी । इस  कारण, श्रद्धालुओंकी भावजागृति सहजतासे होगी ।

हिंदुओ, अपेक्षित हिंदुराष्ट्र वास्तवमें साकार होनेके लिए प्रतिज्ञा करें !  रामराज्यकी प्रजा धर्माचरणी थी । इसीलिए उसे श्रीराम समान सात्त्विक राजा  शासकके रूपमें मिला । हम भी धर्माचरणी बनें, तो इस कलियुगमें भी रामराज्य,  अर्थात धर्माधिष्ठित हिंदुराष्ट्र अवतरित होगा !....

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