Saturday 27 August 2011

सर्वधर्म एक सामान हँ..... क्या सच में ??? PART - 1


कुछ लोग कहते हँ की ईश्वर एक हँ..
सभी धर्मो में उसी एक ईश्वर की उपासना करने को कहा गया हँ....
अल्लाह, भगवान्, खुदा , गोड आदि सब एक ही भगवान् के अलग अलग नाम हँ..
बस सबकी पूजा पद्दति में अंतर हँ..
ये सब सुनने में बड़ा अच्छा लगता हँ, लेकिन इस पर थोडा गंभीरता से विचार करने की जरुरत हँ
सब जानते हँ की इसाई और इस्लाम दो हजार सालसे ज्यादा पुराने धर्म नहीं हँ लेकिन हिन्दू या सनातन वैदिक धर्म लाखो साल पुराना हँ

पहले इस्लाम से शुरू करते हँ..
इस्लाम में , एक हजरत पैगम्बर नाम के व्यक्ति ने ये कहा की मुझे अल्लाह ने भेजा हँ , उन्होंने ऐसा कहा और और सबने ये बात मान ली...
उसने आगे कहा की काफ़िरो को मुसलमान बनाओ..
अब यही पर ये विचार करने वाली बात हँ की  क्या इस्लाम के पैदा होने से पूर्व क्या भगवान् नहीं था?? या भगवान् को मानने वाले नहीं थे?
और अगर थे तो भगवन, अल्लाह को क्या जरुरत थी किसी और को भी धरती पर भेजने की? या कोई और नया धर्म चलाने की?
और काफ़िर का क्या मतलब?
ये गेरमुस्लिम तो इस्लाम के पैदा होने से पहले ही थे
मतलब काफ़िर पहले हुए और असलजादे मुसलमान उनके लाखो साल बाद?

कोन मानेगा ये बात?
अल्लाह कहा सोया हुआ था इतने दिनों से ?
जब काफ़िरो की इतनी अधिक तादाद हो रही थी उस समय अल्लाह ने कुछ क्यों नहीं किया?
कहने को तो मेरे पास इस विषय में काफी कुछ हँ, लेगीं पहले में आप लोगो के इस विषय पर विचार जानना चाहूँगा, पश्चात आगे और भी काफी कुछ कहूँगा, कृपया आप लोग अपने विचार व्यक्त करे इस बारे में........

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